समर्पण-प्रस्तुत उदात्त प्रेम सागर-सा गम्भीर होता है। समर्पण-प्रस्तुत उदात्त प्रेम सागर-सा गम्भीर होता है।
मेरा सोलमेट बन कर, अपनी प्रीत को, असीम कर जाना। मेरा सोलमेट बन कर, अपनी प्रीत को, असीम कर जाना।
तुम मेरा जीवन श्रृंगार हो पल पल ह्रदय की आस हो। तुम मेरा असीम प्यार हो जीवन पुलकित तुम मेरा जीवन श्रृंगार हो पल पल ह्रदय की आस हो। तुम मेरा असीम प्यार हो ...
परम पद पर विराजमान हूँ, उर में तुम्हारे राज। परम पद पर विराजमान हूँ, उर में तुम्हारे राज।
उस दिगंत से भी माँ .. विस्तृत दिगंत है। उस दिगंत से भी माँ .. विस्तृत दिगंत है।
प्यार कैसा होता है ? पूछता फिरता एक पागल प्रेमी बता दे कोई प्यार कैसा होता है ? प्यार कैसा होता है ? पूछता फिरता एक पागल प्रेमी बता दे कोई प्यार कैसा हो...